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डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय को फॉग रिमूवल ड्रोन तकनीक के लिए यूपीसीएसटी से अनुदान मिला
उत्तर प्रदेश की यूनिवर्सिटी डीएसएमआरयू को ऐसा ड्रोन विकसित करने के लिए ग्रांट मिला है, जो कोहरा हटा सके। 12.71 लाख रुपये अनुदान के साथ दो साल में डॉ शकुंतला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी को फॉर रिमूवल ड्रोन टेक्नोलॉजी डेवलप करने का समय दिया गया है।
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय (DSMRU) को कोहरा हटाने की नई ड्रोन तकनीक पर शोध करने के लिए उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूपीसीएसटी) से अनुदान मिला है। दो वर्षों के लिए 12.72 लाख रुपये दिए गए हैं। इन दो वर्षों में टीम को ड्रोन तैयार कर लेना होगा।
डीएसएमआरयू में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. दिनेश कुमार निषाद ने बताया कि उन्होंने कुछ महीने पहले एयरपोर्ट ऑथारिटी के साथ मिलकर फॉग रिमूवल ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित की थी। इस टेक्नोलॉजी के लिए उन्होंने पेटेंट भी लिया था। इस टेक्नोलॉजी से घने और हल्के कोहरे को हटाने में मदद मिलेगी। जिसके चलते विजिबिलिटी बढ़ेगी।
कैसे काम करेगा कोहरा हटाने वाला वाला ड्रोन?
ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद से हल्के कोहरे को हटाने के लिए यूवी लाइट का प्रयोग किया जाएगा। वहीं, घने कोहरे के समय एक साथ चार या उससे अधिक ड्रोन को उड़ाकर हवा में मौजूद नमी को सोखने की तकनीक को विकसित किया है। उन्होंने बताया कि वायुमंडल की नमी को अवशोषित करने वाली इस प्रक्रिया को ड्रॉपलेट कलेक्टर के रूप में जाना जाता है। इससे कोहरे को छांटने में मदद मिलेगी और विमानों की उड़ान और टेक ऑफ में आने वाली दुश्वारियां काफी हर तक समाप्त हो सकेंगी।
उन्होंने बताया कि अभी तक इस तकनीक का डिजाइन ही तैयार हुआ था। इसे बनाने के लिए काफी रुपये की जरूरत थी। लिहाजा उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूपीसीएसटी) में अनुदान के लिए आवेदन किया था। यूपीसीएसटी को यह प्रॉजेक्ट पसंद आया। लिहाजा यूपीसीएसटी ने इस परियोजना के लिए 12.72 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत किया है। यह अनुदान दो वर्षों की अवधि के लिए दिया गया है। दो वर्षों में टीम को यह प्रॉजेक्ट पूरा करना है।
इस तकनीक में ड्रोन का उपयोग किया जाएगा जो विमानों से पहले उड़कर कोहरे को छांटने का काम करेगा। यह तकनीक न केवल हवाई अड्डों पर सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि विमानों के समय पर संचालन में भी मदद करेगी। यह तकनीक हवाई के साथ-साथ सड़क और रेल परिवहन में भी उपयोगी हो सकती है। डॉ. दिनेश कुमार निषाद के साथ सह-अन्वेषक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर विनय कुमार सिंह, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक धर्मेंद्र प्रकाश और सैफुल्लाह ने मिलकर विकसित की है।
तो क्या कम हो जाएगी लागत?
कोहरे के कारण कई बार एयरलाइंस का अपनी फ्लाइट कैंसल करनी पड़ती है। यही नहीं कई बार फ्लाइट लेट भी हो जाती है। यही हाल ट्रेन के साथ होता है। कोहरे के कारण ट्रेन भी निरस्त करनी पड़ती हैं। कई घंटे लेट भी हो जाती हैं। कोहरा हटाने वाले ड्रोन के बनने के बाद एयरलाइंस को अपनी फ्लाइट और रेलवे को अपनी ट्रेन निरस्त नहीं करनी पड़ेगी। खासकर एयरलाइंस की लागत में भारी कटौती होगी। इससे राजस्व में वृद्धि होगी। यही नहीं ट्रेन और बसों के हासदों में भी कमी आएगी।