बांग्लादेश के बिगड़ते हालात पर भारत की नजर, शेख हसीना ने दिल्ली में शरण ली
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़कर दिल्ली आने और वहां हुए राजनीतिक उठापटक पर भारत ने चुप्पी तोड़ी है। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार को संसद में बांग्लादेश के बारे में बयान दिया। इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर सभी दलों की बैठक भी बुलाई थी।
बांग्लादेश के हालात बेहद खराब हैं। सोमवार को शेख हसीना के बांग्लादेश से भाग कर दिल्ली शरण लेने और वहां हुए राजनीतिक उठापटक के एक दिन बाद भारत की ओर से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। मंगलवार को विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने संसद में बांग्लादेश को लेकर बयान दिया। इससे पहले विदेश मंत्री ने ऑल पार्टी मीटिंग कर इस मसले पर आम सहमति बनाने की दिशा में भी कोशिश की। संसद में विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार बांग्लादेश के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। उन्होंने संसद को जानकारी दी कि बेहद शॉर्ट नोटिस पर हसीना ने भारत आने की इजात मांगी और सरकार ने उनकी बात रख ली। उन्होंने ये भी बताया कि वहां हालात पल-पल बदल रहे हैं और भारत सरकार वहां मौजूद भारतीयों के संपर्क में लगातार बनी हुई है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वहां मौजूद अल्पसंख्यकों के हालात पर भी नजर रखे हुए हैं।
राज्यसभा में जयशंकर का संबोधन
राज्यसभा में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के कई दशकों से करीबी रिश्ते रहे हैं, चाहें इस दौरान वहां कोई भी सरकार क्यों ना रही हो। उन्होंने कहा कि जनवरी 2024 के चुनाव के बाद वहां तनाव और पोलराइजेशन देखने को मिला, जिसने वहां छात्रों के विरोध प्रदर्शन को और तीखा किया। इस दौरान वहां हिंसा और सरकारी इमारतों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले बढ़े। हिंसा का ये दौर जुलाई महीने में भी कायम रहा। इस दौरान भारत ने हमेशा विभिन्न राजनीतिक फोर्सेस से हालात डायलॉग के जरिए हालात के समाधान की अपील की। इस बीच विदेश मंत्री ने वहां 21 जुलाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद सरकार की ओर से जो फैसले लिए गए, उसने हालातों को और तनावग्रस्त कर दिया, जिसके बाद हसीना का इस्तीफा प्रदर्शनकारियों का एक प्वाइंट एजेंडा बन गया ।
‘अल्पसंख्यकों के बिजनेस सेटअप और मंदिरों पर भी हमले हुए’
जयशंकर ने इसके बाद कहा कि 4 अगस्त को सरकारी इमारतों और पुलिस स्टेशनों पर आक्रामक हमले हुए। उन्होंने कहा कि इस दौरान अल्पसंख्यकों के बिजनेस सेटअप और मंदिरों पर भी हमले हुए, वहीं पांच अगस्त को प्रदर्शनकारी कर्फ्यू के बाद ढाका की सड़कों पर उतर आए। हालात खराब हो गए और पीएम हसीना ने सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस्तीफा देने का फैसला लिया। विदेश मंत्री ने बताया कि शेख हसीना ने एक शॉर्ट नोटिस में भारत आने की इजाजत मांगी थी। इस दौरान बांग्लादेश प्रशासन की ओर से हमें फ्लाइट रिक्वेस्ट मिली और सोमवार शाम वो दिल्ली पहुंच गई।
‘हालात पर नजर बनाए हुए हैं’
विदेश मंत्री ने कहा कि वहां तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहे हैं। वहां आर्मी चीफ जनरल वकार उज़ ज़मा ने 5 अगस्त को राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि वो देश में अंतरिम सरकार के गठन की दिशा में काम करेंगे। विदेश मंत्री ने बताया कि सरकार अपने डिप्लोमेटिक मिशन के जरिए सरकार बांग्लादेश में मौजूद भारतीय समुदाय के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में इस वक्त 19 हजार भारतीय रह रहे हैं, जिनमें से 9 हजार छात्र हैं, ऐसे में ज्यादातर छात्र पिछले महीने ही भारत वापस आ चुके हैं। बांग्लादेश में भारत की डिप्लोमैटिक मौजूदगी को लेकर जयशंकर ने कहा कि वहां हाई कमीशन के अलावा, चिटगांव, राजशाही, खुलना और स्यालहाट में असिस्टेंट हाई कमीशन भी है। भारत उम्मीद करता है कि वहां की सरकार इन मिशनों को जरूरी प्रोटेक्शन मुहैया करवाएगी।
अल्पसंख्यकों के हालात को लेकर भारत की चिंता बढ़ी
विदेश मंत्री ने बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें इस बात को दिखाया गया है कि माइनॉरिटी की सेक्योरिटी और देखभाल के मद्देनज़र कुछ समुदाय और समूह सामने आए हैं और उन्होंने कुछ पहलें की हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार इस तरह की पहलों का स्वागत करती है, लेकिन इसके बावजूद हालात के सामान्य होने तक और लॉ एंड ऑर्डर के कायम होने तक हमारी चिंता कायम रहेगी। ऐसे में इस जटिल स्थिति के मद्देनजर भारत सरकार की ओर से सीमा बलों को खास एलर्ट रहने के लिए कहा गया. विदेश मंत्री ने कहा कि बीते 24 घंटों में सरकार ढाका में प्रशासनिक अमले के साथ संपर्क में बनी हुई है। संबोधन के आखिर में जयशंकर ने ये भी कहा कि एक अहम पड़ोसी से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर वो संसद की ओर से समझ और समर्थन दोनों की उम्मीद करते हैं।