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रक्षा मंत्रालय 9 सितंबर को सेना की संयुक्त सुरक्षा तैयारियों की करेगा समीक्षा, युद्ध की बदलती प्रकृति पर होगी चर्चा

रक्षा मंत्रालय 9 सितंबर को सेना के तीनों अंगों की संयुक्त सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसमें थल सेना, नौसेना, वायु सेना और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। कार्यक्रम में युद्ध की बदलती प्रकृति, वैश्वीकरण और आपसी संबंध जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।

रक्षा मंत्रालय सेना के तीनों अंगों की संयुक्त सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए आज संयुक्त परिचालन समीक्षा मूल्यांकन (कोर) कार्यक्रम आयोजित करेगा। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘थल सेना, नौसेना, वायु सेना, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी 9 से 13 सितंबर तक नई दिल्ली में होने वाले पांच दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में युद्ध की बदलती प्रकृति, वैश्वीकरण और आपसी संबंध, और विश्व में हाल में चल रहे संघर्षों से मिले सबक सहित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘परोक्ष युद्ध, साइबर और सूचना युद्ध का प्रभाव, सेना में एआई और स्वायत्त प्रणालियों को अपनाना, ये कुछ ऐसे विषय हैं जिन पर चर्चा की जाएगी।’

और क्या-क्या रहेगा खास?

अधिकारी ने कहा, ‘ ‘कोर’ कार्यक्रम की संकल्पना भारतीय सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को भविष्य की नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करने के लिए की गई है, ताकि रणनीतिक योजना बनाने, भविष्य के खतरों, चुनौतियों और संघर्षों का पूर्वानुमान लगाने और उनके लिए तैयारी करने के कौशल विकसित किये जा सकें।’ रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भविष्य के युद्धों का प्रभावी संचालन तीन महत्वपूर्ण तत्वों पर निर्भर करेगा – सेना के शीर्ष अधिकारियों, लड़ने वाले जवानों और मशीनों, तथा सपोर्ट स्टाफ।

पैनल चर्चा करेंगे एक्सपर्ट

मंत्रालय के अनुसार, ‘भारतीय सशस्त्र बल अवधारणाओं और इन्वेंटरी दोनों के आधुनिकीकरण की दिशा में गतिशील कदम उठा रहे हैं। भविष्य के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों और युद्ध की भविष्योन्मुखी परिस्थितियों के प्रति सजग रहने की जरूरत है, जिनके विकास में परिवर्तनकारी टेक्नोलॉजी और निर्णय लेने के तरीकों में हुई प्रगति का असर दिखेगा।’ इसमें कहा गया है कि ‘कोर’ कार्यक्रम का उद्देश्य संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ावा देना और परिचालन वातावरण की विस्तृत समझ बनाने के लिए विभिन्न सेवाओं के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ाना है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘कार्यक्रम में 30 प्रतिष्ठित वक्ताओं और विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों की पैनल चर्चा और व्याख्यान शामिल होंगे, जो प्रत्येक दिन एक अलग विषय पर आधारित होंगे।’

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