यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी कॉपरनिकस सेवा से डायरेक्टर ने नए संकेतों के चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि जलवायु गर्म होती जा रही है और हम आने वाले समय में नए रिकॉर्ड टूटते देखेंगे। पिछले 13 महीने लगातार हर महीना धरती अब तक के रिकॉर्ड इतिहास का सबसे गर्म महीना दर्ज हुआ है।
दक्षिण एशिया में भारत से लेकर यूरोप तक पूरी दुनिया में गर्मी लगातार बढ़ रही है। इस बीच रविवार को दुनिया के तापमान का रिकॉर्ड टूट गया। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के अनुसार, पृथ्वी ने 21 जुलाई को पृथ्वी के हाल का इतिहास का सबसे गर्म दिन महसूस किया गया है। कॉपरनिकस एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि रविवार को पृथ्वी की सतह पर वायुमंडल का औसत तापमान 17.09 सेल्सियस (62.67 फॉरेनहाइट) पर पहुंच गया, जो साल 1940 के बाद से सबसे ज्यादा है। यह पिछले साल जुलाई में रिकॉर्ड किए गए 17.08 सेल्सियम के पिछले रिकॉर्ड से थोड़ा अधिक है।
अभी और बढ़ सकता है तापमान
दुनिया भर में तापमान में वृद्धि देखी गई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह अमेरिका, यूरोप और रूस के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी ने कहर बरपाया है। यही वजह है कि तापमान के अभी और आगे जान की संभावना जताई जा रही है। कॉपरनिकस सेवा के निदेशक कार्लो बुआनटेम्पो ने कहा कि ‘यह संभव है कि इस सप्ताह रविवार का रिकॉर्ड भी टूट जाए, क्योंकि दुनिया भर में गर्मी का कहर जारी है।’ पिछले साल 3 जुलाई से 6 जुलाई तक लगातार चार दिनों तक गर्मी का रिकॉर्ड टूटा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्व ईंधन के जलने से हो रहे जलवायु परिवर्तन के चलते उत्तरी गोलार्द्ध में अत्यधिक गर्मी पैदा की थी।
साल भर से हर महीने टूटा रिकॉर्ड
रविवार का रिकॉर्ड पिछले साल के तापमान से थोड़ा ही ज्यादा है, लेकिन बुआनटेम्पो पिछले 13 महीनों के तापमान में उल्लेखनीय बदलाव की ओर ध्यान देने को कहता हैं। जून 2023 से अब तक का हर महीना पिछले सालों के इसी महीने की तुलना में धरती का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है। इस तरह साल 2023 सबसे गर्म साल साबित हुआ है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2024 पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को भी पार कर सकता है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन और अल नीनो ने तापमान को और भी बढ़ा दिया है।
धरती पर बढ़ रहा खतरा
बुआनटेम्पो ने कहा, ‘वास्तव में चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 13 महीनों के तापमान और पिछले रिकॉर्ड के बीच कितना बड़ा अंतर है। हम अब वास्तव में अज्ञात क्षेत्र में हैं। जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जा रही है, हम आने वाले महीने और वर्षों में नए रिकॉर्ड टूटते हुए देखेंगे।’ कॉपरनिकस सेवा के आंकड़े ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। वैज्ञानिक इसे धरती पर खतरे के रूप में देख रहे हैं। बर्कले अर्थ डेटा प्रोजेक्ट पर काम करने वाले जलवायु वैज्ञानिक जेके हॉसफादर ने कहा कि 13 रिकॉर्ड महीनों के बाद यह ‘नया रिकॉर्ड निश्चित रूप से एक चिंताजनक संकेत है।’ उन्होंने आगे कहा कि यह इसे और चिंताजनक बनाता है क्योंकि अधिक संभावना है कि 2024 रिकॉर्ड स्तर पर 2023 को भी पीछे छोड़ देगा।
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