जातीय जनगणना और आरक्षण पर विपक्ष की काट के लिए भाजपा राज्यसभा व विधान परिषदों में एससी/एसटी वर्ग को आरक्षण देने पर कर सकती है विचार
जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के आक्रामक रुख की काट के लिए भाजपा राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों में एससी/एसी वर्ग को आरक्षण देने का वादा कर सकती है। इस मुद्दे पर केरल में 31 अगस्त से 2 सितंबर तक आरएसएस के साथ समन्वय बैठक में अंतिम निर्णय हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक शनिवार को दिल्ली में हुई भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में इस पर भी चर्चा हुई है। इस बैठक में सभी प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल थे। बैठक में पार्टी की भावी रणनीति को लेकर जिन मुद्दों पर बात हुई उनमें आरक्षण भी है। लोकसभा चुनाव पर चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि ‘आरक्षण खत्म करने’, ‘संविधान बदलने’ जैसे विपक्ष के नैरेटिव से नुकसान हुआ। इस मुद्दे पर अभी भी एससी-एससी समुदाय में संशय है, जिसे विपक्ष विधानसभा चुनावों के दौरान हवा दे सकता है। भाजपा इसकी काट तलाश रही है। अब पार्टी विधानसभा और लोकसभा के इतर आरक्षण को विस्तार देने का वादा करके विपक्ष के नैरेटिव की काट कर सकती है।
अभी यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में विधान परिषद है। भाजपा विधान परिषदों में एससी-एसटी के लिए 5% आरक्षण पर विचार कर रही है। लोकसभा व विधानसभाओं में है एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षणसंविधान के अनुच्छेद 332 के तहत विधान सभाओं में एससी-एसटी समुदाय के लिए जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित हैं। वहीं, लोकसभा में एससी-एसटी के लिए 131 सीटें आरक्षित हैं। एससी की 84 और एसटी की 47 सीटें हैं। हालांकि अनुच्छेद 171 के तहत विधान परिषदों तथा राज्यसभा में एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान नहीं है।