भारत ने लॉन्च की नई न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिघात, 3,500 किमी तक मार करने में सक्षम
भारत ने अपनी नई न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिघात को लॉन्च किया है, जो पिछली सबमरीन आईएनएस अरिहंत से अधिक सक्षम है। इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें और स्वदेशी सामान शामिल हैं। यह 3,500 किमी से अधिक की दूरी पर लक्ष्य मार सकती है। भारत तीसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी को भी जल्द ही कमीशन करने की तैयारी में है।
पिछले सप्ताह ही भारत ने अपनी नई न्यूक्लियर सबमरीमन आईएनएएस अरिघात को लॉन्च किया था। इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल किया गया था। इसके लॉन्च के साथ ही यह बता दिया गया था कि यह पिछली सबमरीन INS अरिंहत से ज्यादा काबिल होगी। अब इसमें लंबी दूरी की मिसाइलें और हाई क्वालिटी की स्वदेशी सामान भी जोड़े गए हैं, जिसके बाद यह वाकई अरिहंत से अधिक सक्षम हो गई है। आईएनएस अरिघाट को मिसाइलों से लैस किया गया है जो 3,500 किमी से अधिक की दूरी पर लक्ष्य मार सकते हैं,वहीं आईएनएस अरिहंत लगभग 750 किमी की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
तीसरी पनडुब्बी की भी तैयारी
आईएनएस अरिंहत और आईएनएस अरिघात के बाद भारत अगले साल के शुरुआत में तीसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी को कमीशन करने की तैयारी में है। पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिघाट’ को 29 अगस्त, 2024 को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इससे पहले, रक्षा मंत्री ने कहा था कि परमाणु-संचालित पनडुब्बी देश के लिए गौरव का विषय है, जबकि इसे सरकार की ‘आत्मनिर्भरता’ पहल के अनुरूप देश की उपलब्धि के रूप में वर्णित किया गया है।
अरिघात को बनाने में लगी है कड़ी मेहनत
आईएनएस अरिघात बनाने में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें नये नक्शे बनाने और बनाने के तरीके, गहन शोध और विकास, खास मटेरियल का इस्तेमाल, मुश्किल इंजीनियरिंग और बेहद कुशल कारीगरों का काम शामिल है। इसकी खास बात ये है कि इसमें इस्तेमाल होने वाले सिस्टम और उपकरण भारत के ही वैज्ञानिकों, उद्योगों और नौसेना के जवानों द्वारा सोचे गए, बनाए गए, तैयार किए गए और जोड़े गए हैं। अपने पूर्ववर्ती, अरिहंत की तुलना में स्वदेशी रूप से की गईं टेक्नोलॉजी की तरक्की इसे काफी ज्यादा बेहतर बनाती है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट दोनों की मौजूदगी भारत की क्षमता को दुश्मनों को रोकने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में काफी कारगर होगी।