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जलवायु परिवर्तन, जंगलों में आग और प्रदूषण से स्वास्थ्य और खेती पर बुरा असर, 45 लाख से अधिक मौतों का कारण: वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गनाइजेशन

जलवायु परिवर्तन, जंगलों में आग और प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य और खेती पर बुरा असर पड़ रहा है। वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, हवा में घुला जहर हर साल 45 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है और फसलों की पैदावार को 15 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन, जंगलों में आग और प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य को नुकसान के साथ खेती भी प्रभावित हो रही है। वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गनाइजेशन (WMO) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट इंटरनैशनल डे ऑफ क्लिन एयर फॉर ब्लू स्काइज के मौके पर जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार हवा में घुला जहर हर साल दुनिया भर में 45 लाख से अधिक मौतों की वजह है। वहीं यह अर्थव्यवस्था पर भी भारी चोट कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के महीन गण उन क्षेत्रों में फसलों की पैदावार को कम कर सकते हैं, जहां उपज लोगों का पेट भरने के लिए काफी मायने रखती है। यह समस्या भारत, पाकिस्तान, चीन, मध्य अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में कहीं अधिक गंभीर है। इन्हें समस्या के हॉट स्पॉट के तौर पर चिन्हित किया गया है।

फसलों की पैदावार 15 फीसदी तक कम होने का खतरा
भारत और चीन में किए परीक्षणों से पता चला है कि प्रदूषित क्षेत्रों में प्रदूषण के महीन कण फसलों की पैदावार को 15 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। यह पत्तियों तक पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी को रोक देते हैं। इसके साथ ही पत्तियों पर मौजूद छोटे छोटे छिद्रों को बंद कर देते हैं। यह छिद्र पौधों को कार्बन डायऑक्साइड लेने और भाप छोड़ने में मदद करते हैं।

कैसे बढ़ रहा है प्रदूषण?
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खेती भी कई तरह के प्रदूषण के महीन कण में योगदान देती है। पराली जलाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग, मिट्टी की जुताई, कटाई और भंडारण आदि प्रक्रिया में यह कण काफी अधिक बढ़ते हैं। इनसे बचाव के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि खेती की जमीन पर पेड़ों और झाड़ियों को लगाने से यह समस्या कम होगी। इससे कार्बन को स्टोर करने में मदद मिलेगी।

WMO के डिप्टी सेक्रेट्री को बैरेट के अनुसार जलवायु परिवर्तन और वायु गुणवत्ता एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। 2024 के पहले आठ महीनों में जो रुझान देखने को मिल रहे हैं वह चिंताजनक हैं। तेज गर्मी और लगातार पड़ते सूखे ने जंगलों में लगने वाली आग और प्रदूषण के जोखिम को बढ़ा दिया है।

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