देश में एक बार फिर सियासी माहौल गरमा गया है। कारण है- चार प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव की अटकलें। इनमें महाराष्ट्र भी शामिल है। महाराष्ट्र की राजनीति पूरी तरह उलझी हुई है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद लोगों को साफ तस्वीर नजर आएगी।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान शुक्रवार को संभव है। चुनाव आयोग नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग ने किसी राज्य का नाम नहीं बताते हुए कहा है कि आज विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान होगा, लेकिन माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के साथ ही जम्मू-कश्मीर, झारखंड और हरियाणा में चुनावों की घोषणा कर दी जाएगी।
महाराष्ट्र की बात करें, तो मौजूदा स्थिति में यहां की राजनीति बुरी तरह उलझ चुकी है। पार्टियों में टूट हुई। एक धड़ा विपक्ष में है, तो दूसरा सत्ता में चला गया है। ऐसे में विधानसभा चुनाव 2024 (Maharashtra Vidhan Sabha Election 2024) से उम्मीद की जा रही है कि परिणाम के बाद तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। पिछली बार अक्टूबर 2019 में चुनाव हुआ था। तब भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इनके खिलाफ कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन था।
चुनाव परिणाम में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी भाजपा और शिवसेना सरकार गठन नहीं कर पाए थे। बाद में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) बनाया था और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। सबसे बड़ा दल होने के बाद भी भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा था।
इस तरह उलझ गई महाराष्ट्र की राजनीति
- महाराष्ट्र की सत्ता में जून 2022 में उस समय बड़ी हलचल शुरू हुई जब एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों को लेकर बगावत कर दी।
- बगावत के 10 दिनों के भीतर उद्धव ठाकरे ने शिंदे को पार्टी से निकाल दिया, जिसके कारण महाराष्ट्र में MVA सरकार गिर गई।
- शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। 30 जून 2022 को शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया।
- इसके बाद 16 बागी विधायकों की अयोग्यता का केस विधानसभा स्पीकर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चला।
- कुछ दिन बाद एनसीपी में ऐसी ही बगावत हो गई। अजित पवार एनसीपी को तोड़कर सरकार में शामिल हो गए।
- अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया। शिवसेना की तरह एनसीपी में भी असली-नकली की लड़ाई लड़ी गई।
- चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना और उद्धव गुट को शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) नाम दिया।
- एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का आधिकारिक नाम ही नहीं, बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का प्रतीक तीर कमान चिह्न भी मिला।
- इसी तरह, चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना और शरद पवार के धड़े को अलग नाम दिया।
- महाराष्ट्र की राजनीति में अभी शिवसेना और एनसीपी, सत्ता में भी हैं और विपक्ष में भी।