बैंक खातों में अब जुड़ सकेंगे 4 नॉमिनी, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग कानून में संशोधन को दी मंजूरी
किसी भी बैंक अकाउंट में नॉमिनी का नाम जरूर लिखवाना होता है। आप किसी भी शख्स को अपने अकाउंट का नॉमिनी बना सकते हैं। अब बैंक अकाउंट में 4 नॉमिनी का नाम जुड़वा सकेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग कानून से जुड़े संशोधनों को मंजूरी दी है। अकाउंट होल्डर की मौत के बाद खाते में जमा रकम नॉमिनी को मिल जाती है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बैंकिंग कानून से जुड़े कई अहम संशोधनों को मंजूरी दी है। इनमें सबसे खास है बैंक खातों के लिए 4 नॉमिनी का ऑप्शन। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग कानून में बदलाव के बाद बैंक खातों के भी एक से अधिक नॉमिनी हो सकेंगे। इससे अकाउंट होल्डर की मौत के बाद खाते के पैसे जॉइंट अकाउंट होल्डर या वारिस को आसानी से मिल सकेंगे। NBT संग समझें कि इस नियम की क्यों पड़ी जरूरत और इससे लोगों को क्या सहूलियत होगी।
क्यों पड़ी जरूरत?
मार्च के अंत तक वैसे अकाउंट की संख्या बढ़कर 78 हजार करोड़ हो गई, जिनके लिए कोई क्लेम करने वाला नहीं है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि अब तक अकाउंट में एक ही नॉमिनी का ऑप्शन है। ऐसे में यदि किसी दुर्घटना में नॉमिनी की भी मौत हो जाती है तो उसके बाद क्लेम में कई परेशानियां आती हैं। सरकार अनक्लेम्ड अकाउंट की संख्या कम करना चाहती है।
क्या फायदा होगा?
एक से अधिक नॉमिनी होने से अनक्लेम्ड अकाउंट की संख्या घटेगी और परिजन को उनके पैसे मिल सकेंगे। मान लीजिए कि पति ने पत्नी को और पत्नी ने पति को नॉमिनी बनाया, लेकिन किसी दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई। लेकिन, यदि नॉमिनी नंबर 2, 3, 4… होंगे तो इस तरह के हादसों के बाद भी दावेदार बचे रहेंगे और अकाउंट होल्डर के नॉमिनी को पैसे मिल सकेंगे। इसलिए, हर अकाउंट के नॉमिनी की संख्या 4 करने पर विचार किया जा रहा है।
अभी क्या है नियम?
अभी आप जब बैंक अकाउंट खुलवाते हैं तो आपको नॉमिनी तय करने का ऑप्शन होता है। अकाउंट होल्डर की मौत के बाद खाते में जमा पैसे को नॉमिनी को देना होता है। अभी शेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट में एक ही नॉमिनी तय करने का ऑप्शन है।
कहां से आया कई नॉमिनी का आइडिया?
इंश्योरेंस और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) अकाउंट में अभी एक से अधिक नॉमिनी तय करने की सहूलियत है। 4 नॉमिनी का आइडिया सरकार को यहीं से मिला है। बदलाव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस विधेयक को संसद में पेश करेंगी। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) के लिए भी कई नॉमिनी पर विचार हो रहा है, हालांकि पूरी जानकारी संसद में विधेयक पेश होने पर ही मिल सकेगी।
अनक्लेम्ड पैसे का क्या होगा?
नए बदलाव के तहत यदि किसी अकाउंट में शेयरों का बोनस (डिविडेंड) या बॉण्ड का पैसा पड़ा है और उसके लिए कोई क्लेम नहीं आया तो उसे ‘इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड’ IEPF में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। फिलहाल, केवल बैंकों के शेयर ही IEPF में ट्रांसफर होते हैं। इसके साथ ही जिन शेयरहोल्डर्स के पास 2 करोड़ रुपये तक के शेयर हैं, उन्हें संबंधित कंपनी में अहम हिस्सेदार माना जाएगा। पहले यह सीमा 5 लाख रुपये थी, जिसे करीब 60 साल पहले तय किया गया था।